किसी की आँखों की शरारत में कविता है
किसी चेहरे की मुस्कुराहट में कविता है
किसी भूखे को भरपेट खाना खिलाकर तो देखें
उसकी तृप्ति और नम आँखों के आभार में कविता है
किसी चेहरे की मुस्कुराहट में कविता है
किसी भूखे को भरपेट खाना खिलाकर तो देखें
उसकी तृप्ति और नम आँखों के आभार में कविता है