परमात्मा के सृजन में मनुष्य तो बुद्धि का स्वामी बन बैठा परन्तु पशु असहाय रह गये । यही कारण है कि पशु श्रेणी में गौ वंश के प्राणी पाॅलीथिन को भी गटक जाते हैं । मूक एवं अपनी पीड़ा को अभिव्यक्त करने में असफल उक्त पशुओं की सुरक्षा का दायित्व प्रत्येक मानव का है, और सभी को यह प्रयास करना चाहिए कि उसे अनावश्यक रूप से पिटाई एवं पाॅलीथिन से बचाया जाए ।
विश्व में सबसे अधिक स्वार्थी प्राणी भी मनुष्य ही है, जब तक गाय से दूध मिला तब तक उसकी सेवा करने में कसर नही छोड़ते बाद में दुत्कारने से भी नही हिचकिचाते । उन्नत तकनीक एवं वाहनों के कारण खेती एवं ढुलाई में आवश्यकता नही रहने के कारण बैल एवं बछड़ों को यूं ही भटकने को छोड़ दिया जाता है, जिसके कारण प्रमुख मार्ग एवं स्थलों पर आवारा पशुओं का जमावड़ा आवागमन में बाधक बनने लगता है और जाने अन्जाने लोगों की दुत्कार, पिटाई का शिकार बनते गौ वंश के पशु सड़े गले पदार्थ सहित यत्र तत्र बिखरे पाॅलीथिन खाकर घायल, अपंग और मृ्त्यु के शिकार बन रहे हैं ।
सुई चुभने पर अपनी चीख से आसमान उठाने वाले वीर मनुष्य, घायल, प्रताड़ित एवं भूखे निरीह पशुओं को देखकर भी नही पसीजते, जैसे मानवता हाड़ मांस के शरीर से विलुप्त हो चुकी हो । हजारों में बस कुछ व्यक्ति ही ऐसे हैं जो अपनी पीड़ा एवं पशुओं की पीड़ा की समानता समझते हुए, यथा संभव सहयोग एव सेवा के लिए तत्पर नजर आते हैं, क्या आप भी उनमे से एक हैं ? यदि हाॅं तो फिर प्रस्तुत गौ सेवा एवं संरक्षण की इस अभिनव योजना के दायित्व वाहक आपसे सर्वोत्तम कोई हो नही सकता ।
यदि आपके क्षेत्र के खाली पड़ी भूमि पर आसपास के किसी कंपनी के सी.एस.आर. यानि सामुदायिक कल्याण निधि से पशुओं के सुरक्षित भ्रमण, विश्राम एवं चारागाह के लिए स्थल आवंटित कराते हुए चहारदीवारी एवं शेड के निर्माण के साथ ही, स्थानीय निकाय द्वारा पशुओं के पेयजल की सुविधा, सुरक्षा हेतु चैाकीदार एवं अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति करा दी जाए । विधायक तथा सांसद नियमानुसार अपने कल्याण निधि से उक्त स्थल को पर्यटन की दृष्टि से विकसित एवं सुव्यवस्थित बना दें । समाज सेवी संस्थाएं एवं जनप्रतिनिधि गण तथा आम नागरिक अपनी सार्मथ्य अनुसार सहयोग प्रदान कर पशुओं के चिकित्सा एवं औषधि की जिम्मेदारी ले लें तो अभिनव जन प्रयास युक्त पशु संरक्षण स्थल मूर्त रूप लेकर अन्य क्षेत्रों के लिए प्रेरणास्रोत एवं पथ प्रदर्शक बन सकता है ।
सभी के सम्मिलित प्रयास से इधर उधर भटक रहे पशुओं को एक विशालकाय मैदान में विचरण का आनंद प्राप्त हो सकेगा एवं उन्हें जूठन तथा पाॅलीथिन से मुक्त रखते हुए विभिन्न स्थलों पर होने वाली पिटाई से सुरक्षित रखा जा सकेगा । पशुओं से मुक्त सड़कों से आवागमन करने वाले भी सुरक्षित रहेंगे और पशु भी । बरसात हो या ठंड, मनुष्य स्वयं को सुरक्षित रखता है, लेकिन खुले आसमान में ठिठुरते जानवरों की परवाह कौन करता है ? उक्त गौ सेवा एवं संरक्षण स्थल के निर्माण से बरसात एवं ठंड में छांव तलाशते पशुओं को एक सुरक्षित ठिकाना मिल जायेगा ।