गुरुवार, 28 दिसंबर 2017

सवाल

उन्हे शाकाहारियों से चिढ़ है
पर 'शाकाहारी पशु' खाने से नहीं हिचकिचाते हैं
हप्ते में दो दिन भी लेकिन
साग भाजी बिन रह नही पाते हैं
ऐसे पशु जो हरदम
मांस - विष्ठा खाते हैं
उनके नाम से ही वे
जाने क्यों घिनाते हैं
पशु - पशु के मांस में
आखिर फर्क कैसा ?
जीभ की गुलामी में
आँखों का तर्क कैसा
कुदरत ने पशु रचा
इंसान को भी बनाया है
पशुओं को जैसे आंत दांत मिले
क्या इंसान ने वैसा पाया है ?
खुद को कुदरत से बड़ा
समझ की इस सोच को लानत है
गौर से देखो तो जरा
दरअसल यही कयामत है ।

शुक्रवार, 2 जून 2017

मुस्कुराते रहो


सूरज को गगन मिल गया
फूलों का चमन मिल गया
आप जब मुस्कुराये
मन से मन मिल गया



मुफ्त

अखबारों में पढ़ा
कि मुफ्त मिलेगी दवाई
लेकिन यह बात, समझ नही आई
बिना डाक्टर के, रोग कौन समझेगा
सूने हैं अस्पताल, दवा कौन लिखेगा
कोरी पर्ची से, इलाज जाने कैसे हो जाता है
दर्द तो बढ़ते जाता है पर दवा स्टाॅक घट जाता है ।

बुधवार, 24 मई 2017

शुरूआत करें

देश के विकास की बात करें
चलो खुद से शुरूआत करें
हम न करेंगे गंदगी
कुछ तो सफाई रहेगी
कहीं बेवजह न बिजली जले
तो किसी अंधियारे घर को बल्ब मिले
अब देरी हो या मजबूरी
रिश्वत से रखेंगे दूरी
चलो भीड़ में खुद की पहचान बनाएं
अपनी जिम्मेदारी समझें और निभाएं ।

शनिवार, 18 मार्च 2017

बीड़ा मिटाए पीड़ा

     परमात्मा के सृजन में मनुष्य तो बुद्धि का स्वामी बन बैठा परन्तु पशु असहाय रह गये । यही कारण है कि पशु श्रेणी में गौ वंश के प्राणी पाॅलीथिन को भी गटक जाते हैं । मूक एवं अपनी पीड़ा को अभिव्यक्त करने में असफल उक्त पशुओं की सुरक्षा का दायित्व प्रत्येक मानव का है, और सभी को यह प्रयास करना चाहिए कि उसे अनावश्यक रूप से पिटाई एवं पाॅलीथिन से बचाया जाए ।
     विश्व में सबसे अधिक स्वार्थी प्राणी भी मनुष्य ही है, जब तक गाय से दूध मिला तब तक उसकी सेवा करने में कसर नही छोड़ते बाद में दुत्कारने से भी नही हिचकिचाते । उन्नत तकनीक एवं वाहनों के कारण खेती एवं ढुलाई में आवश्यकता नही रहने के कारण बैल एवं बछड़ों को यूं ही भटकने को छोड़ दिया जाता है, जिसके कारण प्रमुख मार्ग एवं स्थलों पर आवारा पशुओं का जमावड़ा आवागमन में बाधक बनने लगता है और जाने अन्जाने लोगों की दुत्कार, पिटाई का शिकार बनते गौ वंश के पशु सड़े गले पदार्थ सहित यत्र तत्र बिखरे पाॅलीथिन खाकर घायल, अपंग और मृ्त्यु के शिकार बन रहे हैं ।
     सुई चुभने पर अपनी चीख से आसमान उठाने वाले वीर मनुष्य, घायल, प्रताड़ित एवं भूखे निरीह पशुओं को देखकर भी नही पसीजते, जैसे मानवता हाड़ मांस के शरीर से विलुप्त हो चुकी हो । हजारों में बस कुछ व्यक्ति ही ऐसे हैं जो अपनी पीड़ा एवं पशुओं की पीड़ा की समानता समझते हुए, यथा संभव सहयोग एव सेवा के लिए तत्पर नजर आते हैं, क्या आप भी उनमे से एक हैं ? यदि हाॅं तो फिर प्रस्तुत गौ सेवा एवं संरक्षण की इस अभिनव योजना के दायित्व वाहक आपसे सर्वोत्तम कोई हो नही सकता
     यदि आपके क्षेत्र के खाली पड़ी भूमि पर आसपास के किसी कंपनी के सी.एस.आर. यानि सामुदायिक कल्याण निधि से पशुओं के सुरक्षित भ्रमण, विश्राम एवं चारागाह के लिए स्थल आवंटित कराते हुए चहारदीवारी एवं शेड के निर्माण के साथ ही, स्थानीय निकाय द्वारा पशुओं के पेयजल की सुविधा, सुरक्षा हेतु चैाकीदार एवं अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति करा दी जाए । विधायक तथा सांसद नियमानुसार अपने कल्याण निधि से उक्त स्थल को पर्यटन की दृष्टि से विकसित एवं सुव्यवस्थित बना दें । समाज सेवी संस्थाएं एवं जनप्रतिनिधि गण तथा आम नागरिक अपनी सार्मथ्य अनुसार सहयोग प्रदान कर पशुओं के चिकित्सा एवं औषधि की जिम्मेदारी ले लें तो अभिनव जन प्रयास युक्त पशु संरक्षण स्थल मूर्त रूप लेकर अन्य क्षेत्रों के लिए प्रेरणास्रोत एवं पथ प्रदर्शक बन सकता है ।
     सभी के सम्मिलित प्रयास से इधर उधर भटक रहे पशुओं को एक विशालकाय मैदान में विचरण का आनंद प्राप्त हो सकेगा एवं उन्हें जूठन तथा पाॅलीथिन से मुक्त रखते हुए विभिन्न स्थलों पर होने वाली पिटाई से सुरक्षित रखा जा सकेगा । पशुओं से मुक्त सड़कों से आवागमन करने वाले भी सुरक्षित रहेंगे और पशु भी । बरसात हो या ठंड, मनुष्य स्वयं को सुरक्षित रखता है, लेकिन खुले आसमान में ठिठुरते जानवरों की परवाह कौन करता है ? उक्त गौ सेवा एवं संरक्षण स्थल के निर्माण से बरसात एवं ठंड में छांव तलाशते पशुओं को एक सुरक्षित ठिकाना मिल जायेगा ।

मंगलवार, 28 फ़रवरी 2017

कविता

किसी की आँखों की शरारत में कविता है 
किसी चेहरे की मुस्कुराहट में कविता है
किसी भूखे को भरपेट खाना खिलाकर तो देखें
उसकी तृप्ति और नम आँखों के आभार में कविता है

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2017

ईश्वर

अगर हम हैं तो वो भी है
हम नहीं तो वो कहीं नहीं
महसूस करके फर्क तो देखो
कहते हैं जिसे साँस
वो सिर्फ बहती हवा तो नहीं

बुधवार, 1 फ़रवरी 2017

जन्मदिन की शुभकामनाएँ

प्रत्येक प्राणी का जन्म विशिष्ट है और उसके जन्म का उद्देश्य भी, इसीलिए जन्मदिन को हम सभी अत्यंत हर्षोल्लाष के साथ मनाते हैं ।
हर कोई चाहता है की उसका जन्मदिन कुछ अलग ढंग से मनाया जाए, तो प्रस्तुत है ऐसा ही एक अभिनव प्रयास।  इसे घर में, स्कूल में, मित्र मंडली के समूह में, कार्यालय में कहीं भी प्रस्तुत किया जा सकता है।

आपको बस इतना करना है कि जिसका जन्मदिन है उसके सम्मुख ये पंक्तियाँ पढना है और अंतिम शब्द के ठीक बाद जन्मदिन से सम्बंधित कोई धुन बजाना है जैसे- हैप्पी बर्थ डे टू यू   ....... 

"महकते फूलों की ये बगिया
यूँ ही खिलती रहे
आपका मार्गदर्शन और प्रेरणा
सबको मिलती रहे
अभी तो देखें हैं आपने बस ..... साल  *(खाली स्थान में वांक्षित साल लिखें )
हजारों बरस तक
खुशियों की ये धुन बजती रहे  ......"