उन्हे शाकाहारियों से चिढ़ है
पर 'शाकाहारी पशु' खाने से नहीं हिचकिचाते हैं
हप्ते में दो दिन भी लेकिन
साग भाजी बिन रह नही पाते हैं
ऐसे पशु जो हरदम
मांस - विष्ठा खाते हैं
उनके नाम से ही वे
जाने क्यों घिनाते हैं
पशु - पशु के मांस में
आखिर फर्क कैसा ?
जीभ की गुलामी में
आँखों का तर्क कैसा
कुदरत ने पशु रचा
इंसान को भी बनाया है
पशुओं को जैसे आंत दांत मिले
क्या इंसान ने वैसा पाया है ?
खुद को कुदरत से बड़ा
समझ की इस सोच को लानत है
गौर से देखो तो जरा
दरअसल यही कयामत है ।
पर 'शाकाहारी पशु' खाने से नहीं हिचकिचाते हैं
हप्ते में दो दिन भी लेकिन
साग भाजी बिन रह नही पाते हैं
ऐसे पशु जो हरदम
मांस - विष्ठा खाते हैं
उनके नाम से ही वे
जाने क्यों घिनाते हैं
पशु - पशु के मांस में
आखिर फर्क कैसा ?
जीभ की गुलामी में
आँखों का तर्क कैसा
कुदरत ने पशु रचा
इंसान को भी बनाया है
पशुओं को जैसे आंत दांत मिले
क्या इंसान ने वैसा पाया है ?
खुद को कुदरत से बड़ा
समझ की इस सोच को लानत है
गौर से देखो तो जरा
दरअसल यही कयामत है ।
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