अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर शहर के कुछ युवा महिलाओं के सम्मान की योजना बना रहे थे । उन्हीं में से एक युवक ने कहा कि "महिलाओं का सम्मान उन्हे हार पहनाकर भी किया जा सकता है" प्रतिउत्तर में दूसरे युवक ने मुस्कुराते हुए कहा "फोटो पर पहनाये जाने वाला हार या फिर सजीव हार," अन्य जनों ने उसे घूरा तो वह मस्ती में कहता चला गया कि "दोनो हालात में आपकी खैर नही, क्योंकि महिलाओं को हार पहनाना मतलब ....." तभी एक दूसरे इतराते से युवक ने बीच में बोला "अरे भई हार का मलतब हारने वाले हार से भी तो है, क्योंकि हम पुरूष तो जीत के प्रतीक हैं, क्यों भाई लोग" । उनकी बात सुनकर एक युवक ने महिलाओं को सम्बोधित करते हुए चार पंक्तियां बोला जिसे सुनकर इतराते युवा शर्मिंदा हो गये और शेष युवाओं को मिला आयोजन को साकार करने का संबल । आप भी महिलाओं के सम्मान में कभी भी इन पंक्तियों को गुनगुना सकते हैं —
तुम हार नही जीत हो
सच पूंछो तो मीत हो
जिसे सिर्फ रिश्तों में नहीं बांधा जा सकता
तुम हर सम्बन्धों की मधुर गीत हो ।
तुम हार नही जीत हो
सच पूंछो तो मीत हो
जिसे सिर्फ रिश्तों में नहीं बांधा जा सकता
तुम हर सम्बन्धों की मधुर गीत हो ।
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