मंगलवार, 31 जुलाई 2018

उपवास


          उपवास का सामान्य अर्थ यह समझा जाता है कि उपासना के लिए दिन भर या रात भर भूखे रहना उपासना है । अथवा यदि बिना कुछ खाये पीये रहेंगे तो ईश्वर की उपासना पूर्ण मानी जायेगी । जब कि ऐसा नही है । उपासना का पेट से सम्बन्ध नही है । उपासना का संधि विच्छेद करने से उप एवं आसन शब्द से तात्पर्य है ईश्वर का सामीप्य या ईश्वर के पास बैठना ।
          उदाहरण जब सुबह आपके नाश्ते का समय हो और कोई मेहमान आ जाए तो आपको उनके साथ बैठना पड़ेगा और लम्बी बातचीत में नाश्ता करने की सुध ही न रहे ऐसी ही स्थिती उपासना में होती है जब आप ईश्वर की भक्ति में लीन होते हैं तो क्षुधा पूर्ति के लिए समय ही नही मिल पाता और वह स्थिती उपवास बन जाती है । अर्थात जान बूझकर आपने खाना नही खाया बल्कि ईश्वर के सामीप्य में आपकी लगन एवं तल्लीनता आपको खाना पीने की बात भुला दे वही है उपवास । परन्तु हम सब समझते हैं कि भूखे रहना ही उपवास है ।
          आज के आधुनिक समय में सब कुछ फास्ट (त्वरित) है । इसलिए फास्ट (उपवास) भी फास्ट (तेज) ढंग से सम्पन्न किया जाने लगा है । अगरबत्ती जलाई, ऊँ जय जगदीश हरे किया और हो गई उपासना । इसके बाद तरह तरह के पकवान बनाकर डकार लिये और सेल्फी लेकर यह ढिंढ़ोरा पीटा जाता है कि हम तो आज फास्ट (उपवास) पर हैं ।
          वैसे तो आजकल हर मार्डन भारतीय प्रतिदिन उपवास तोड़ता है, ब्रेक फास्ट करके । अतः उपवास का सही अभिप्राय ठीक से समझते हुए जब भी अपने ईष्ट का स्मरण करें और उसमें मगन हो जाएं फिर चाहे कई घण्टे, पूरा दिन ही क्यों न बीत जाए, आपको भूख प्यास की अनुभूति नही होगी, क्योंकि आपके शरीर को आंतरिक उर्जा, आत्मिक उर्जा जो प्राप्त होने लगेगी । परन्तु यदि उपासना अवधि में आपको भूख का अनुभव हो तो जो भी सहज रूप से, प्राकृतिक रूप से उपलब्ध हो उसे निःसंकोच ग्रहण कर लेना चाहिए जैसे फल, दूध इत्यादि ।
          ईश्वर की उपासना में भूख प्यास न लगने की बात को इस उदाहरण से समझें, जब घर में कोई मांगलिक उत्सव जैसे विवाह आदि कार्यक्रम होता है तो कब दिन और रात बीत जाता है आपको पता ही नही चलता । तैयारियों एवं अतिथियों के स्वागत में आप जुटे रहते हैं, एक निवाला भी खाने का समय नही मिल पाता जबकि उन दिनों विविध पकवान बने होते हैं एवं सैकड़ो जन उन्हे चखते चटकारे लेते रहते हैं । स्पष्ट है आपकी संलग्नता, आपकी कार्य विशेष में व्यस्तता आपकी भूख प्यास को निर्धारित करती है, अतः जब ईश्वर की उपासना का समय हो तो हम कितने गंभीर हैं, हमारा लगाव और जुड़ाव ईश्वर के प्रति कितना है इसी बात का द्योतक है उपवास । अगर आस्था एवं भक्ति सच्ची है तो भूख प्यास का होश ही कहां रहेगा ?   

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